खुश हो लेते हैं हम नकली पटाखे छोडकर
नाच उठाते उमंग से हम अनार को जलाकर.
जरा सोचो ख़ुशी उनकी, उमंग तरंग उनकी
जो गोले छोड़ते हैं, बम असली फोड़तें हैं.
हम माना सकें दीवाली, हम खेल सकें होली
इसलिए सीमा पर डटकर वे झेलते हैं गोली.
हम सजाते दीपक से घरों को, घी-तेल डालते है.
हमारा भविष्य सवारते वे, अपना लहू जला के.
आज आइये! नाम उनके कुछ दीप हम जला दें.
हो गए हैं जो शहीद, उन्हें दीप मालाओं से सजादे .
शुभकामनाएँ
ReplyDeleteजवानों के जज़्बे को शुंदर शब्दों में ढाला है आपने । नया साल खुशियां लेकर आये ।
ReplyDeleteThanks to all for kind visit and comments.
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