यदि सच यह नहीं
जो दीखता है आगे,
तो नहीं दीखता जो
वह सच है कैसे?
समस्या तो है यही मूल
अस्तित्व-सार के बीच का.
कौन है इसमें पूर्ववर्ती?
और कौन है पश्चात का?
बिना सार अस्त्तित्व कहाँ?
अस्तित्व वहीँ, है सार जहाँ.
सार है मूल, अस्तित्व परिणाम,
यही अस्तित्व, सार का प्रमाण.
प्रश्न में ही समाधान।
ReplyDeletesir aapkee rachna ka jabab nahi..
ReplyDeleteThanks Mukesh ji
ReplyDelete.बहुत सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति .एक एक बात सही कही है आपने आभार सौतेली माँ की ही बुराई :सौतेले बाप का जिक्र नहीं आज की मांग यही मोहपाश को छोड़ सही रास्ता दिखाएँ .
ReplyDelete